


आषाढ़ कृष्ण एकादशी अर्थात् शनिवार का दिन बेहद खास होगा - ज्योतिषीय, धार्मिक और खगोलीय दृष्टि से। ग्रहों के अधिपति सूर्यदेव उत्तरायण से दक्षिणायन मार्ग की ओर अग्रसर होंगे। इस बदलते प्रभाव के साथ ही कल, यानी 22 जून, आर्द्रा नक्षत्र में सूर्य—जो दिन में कुल 13 घंटे रहेगा, जबकि रात केवल 11 घंटे की होगी।
22 जून का ज्योतिषीय महत्व
1:54 PM पर सूर्य का आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश होना तय है—जो 6 जुलाई सुबह तक बना रहेगा
आर्द्रा नक्षत्र को ‘life‑giving’ और फसल की शुरुआत से जोड़कर देखा जाता है ।
भौगोलिक और कृषियोग्य लाभ
इस नक्षत्र के प्रभाव से पर्याप्त वर्षा होने की संभावना है—जिससे किसानों के लिए बीज बुवाई और खेतिहर कार्य शुभ माने जाते हैं । ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा के अनुसार, सूर्य इस समय मकर रेखा पर लंबवत रहेगा—जिससे 21 जून का दिन साल का सबसे लंबा रहेगा और रात सबसे छोटी होगी।
आर्द्रा नक्षत्र के और भी प्रभाव
आर्द्रा नक्षत्र को रुद्र का नक्षत्र कहा गया है, जिसके समय थंडरstorms और मनोरम अध्यात्मिक परिवर्तन के संकेत मिलते हैं — यह भावनात्मक गहराई और नवीन शुरुआत का समय होता है। इस दौरान बुध और गुरु (बृहस्पति) की उपस्थिति के कारण अच्छी वर्षा, आत्मिक संतुलन और ऊर्जावान समय का संकेत भी मिलता है ।
पर्व एवं धार्मिक कृत्यों के लिए उपयुक्त
आर्द्रा नक्षत्र में भगवान सूर्य की पूजा-अर्घ्य करने का तात्पर्य है—यह स्वास्थ्यवर्धन और आयु प्राप्ति में सहायक होता है। यह समय दान, सेवा, धार्मिक अनुष्ठान और भगवत्ता के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
मानसून और ऋतुओं का बदलाव
आर्द्रा नक्षत्र में सूर्य के प्रवेश के बाद मॉनसून की गति तेज होती है — तेज वायुओं के साथ मानसून की मजबूत दायरे की संभावना बनती है। विशेषकर रोहिणी, मघा, पुष्य व अश्लेषा नक्षत्रों में अच्छी वर्षा की भी संभावना जताई जाती है।